ताऊ रामपुरिया को ताई सहित सादर समर्पित
इसी बात का रौला सै.
देख मकौड़ा धौला सै.
टूम पहन कै ठुमक रह्या,
वो बी कितना बौला सै.
बरगद सै हैरान घणा,
दो भिण्डी का कौला सै.
जो फसग्या सो घाल्लिया,
तन बी ससुरा झौला सै.
गुलदाणे मैं खुस्स होग्या
हनुमान तो भौला सै
--योगेन्द्र मौदगिल
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13 वर्ष पहले
मज़ेदार...
जवाब देंहटाएंदेख मकौड़ा धौला सै.
जवाब देंहटाएंवाह
मेरी तरफ़ से भी ताऊ ओर ताई को समर्पित यह सुंदर गजल.
इस सुंदर गजल के लिये , बहुत ही गहरे भाव लिये है योगेन्द्र जी आप की कविता.
धन्यवाद
बहुत सुंदर. आपके आदेश के मुताबिक थारी ताई को भी पढवा दी यह रचना. और दोमुआं की तरफ़ तैं घणा आशिष भाई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सही कह रह हूँ कि मुझे हरियाणवी नहीं समझ में आती है. आपके प्रिंटिंग वालें ब्लॉग के लिए साधुवाद स्वीकारें. शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआधअधूरा समझ आया, लेकिन वह पर्याप्त है फिलहाल.
जवाब देंहटाएंहां, ताऊ जी तो आजकल हम सब के दिल पर राज करते हैं
सस्नेह -- शास्त्री
लाजवाब
जवाब देंहटाएंम्हारी टिप्पणी से खुश हो ज्यागा यो कवी भोला से |
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