behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

शनिवार, 21 फ़रवरी 2009

चोपाली किस्सा

राज भाटिया जी और पीसी रामपुरिया जी
यह सुना-सुनाया किस्सा आपको समर्पित

एक जाट की भैंस गुम हो गई. अपने छोरे नै साथ लेकै जाट नै आसपास हर तरफ ढूंढ ली पर भाई भैंस ना मिली.
थक हार कै दोनों बापू बेटे रास्ते में आए हनुमान मंदिर में जाके भैंस मिलाने की प्रार्थना करने लगे. प्रार्थना समाप्त कर जाट जोर से हनुमान जी से बोला के हनुमान जी जे आज सवेरे तक भैंस मिलगी तो एक थन आपका. उसका दूध आपकै ही चढ़ेगा.

थोड़ी आगे चले तो देवी मंदिर आग्या. दोनों देवीमंदिर में जाके भैंस मिलाने की प्रार्थना करने लगे. प्रार्थना समाप्त कर जाट जोर से देवी भगवती से बोला के दुर्गा माता जे आज सवेरे तक भैंस मिलगी तो एक थन आपका उसका दूध आपकै ही चढ़ेगा.

थोड़ी और आगे चले तो भैंरों मंदिर आग्या. दोनों मंदिर में जाके भैंस मिलाने की प्रार्थना करने लगे. प्रार्थना समाप्त कर जाट जोर से भैंरों बाबा से बोला के हे बाबा जे आज सवेरे तक भैंस मिलगी तो एक थन आपका उसका दूध आपकै ही चढ़ेगा.

थोड़ी और आगे चले तो ग्रामदेवता का मंदिर आग्या. दोनों मंदिर में जाके भैंस मिलाने की प्रार्थना करने लगे प्रार्थना समाप्त कर जाट जोर से बोला के हे ग्राम देवता जे आज सवेरे तक भैंस मिलगी तो एक थन आपका उसका दूध आपकै ही चढ़ेगा.

यह सुनते ही उसके साथ खड़ा जाट का छोरा बोल्या बापू तनै तो चारों थन देवी देवताऒं में बांट दिये अब अगर भैंस मिल भी गई तो क्या फायदा ?
हम कौन से थन का दूध पीवेंगें ?
जाट बोल्या रै छोरे मैं जाट सूं तनै के समझ राख्या..
एक बार बस भैंस मिल जाण दे इन देवी-देवताऒं नै तो मैं आप देख ल्यूंगा

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

हरियाणवी ग़ज़ल

ताऊ रामपुरिया को ताई सहित सादर समर्पित

इसी बात का रौला सै.
देख मकौड़ा धौला सै.

टूम पहन कै ठुमक रह्या,
वो बी कितना बौला सै.

बरगद सै हैरान घणा,
दो भिण्डी का कौला सै.

जो फसग्या सो घाल्लिया,
तन बी ससुरा झौला सै.

गुलदाणे मैं खुस्स होग्या
हनुमान तो भौला सै
--योगेन्द्र मौदगिल

बुधवार, 28 जनवरी 2009

म्हारा ताऊ .......

या बात उन दिनों की सै जब म्हारा ताऊ बोम्बे मैं रहया करै था
एक दिन भाटिया जी का जी कर पडा अक ईबकै तो जरमनी जाता होया ताऊ नै मिल कै जाऊंगा सो आव देख्या ना ताव भाटिया जी म्हारी भाभी अर भतीज्जों नै लेकै ताऊ कै पहोंचगे
दिन तो आवभगत अर मजाकबाजी मैं कट ग्या
रात होगी

भाटिया जी का वहीं रहण का इरादा देख कै ताई बोली, रे बीजमरे, यो तेरा भाटिया जी तो न्यू लाग्गै अक कुणबे नै लेकै अड़ैई सोवेगा.......... अर म्हारै फालतू खाट कोनी.......... ईब के करैं..........
ताऊ बोल्या.......... ताई बणगी अर अकल रिवाड़ी छोड़ यायी........... इस म्हं चिंता के........... यहां पड़ौस मैं नीरज जी रहवैं सैं उनकै तै खाट मांग ल्यावांगें............ मैं ईब गया अर ईब आया

न्यू कहकै ताऊ नीरज जी कै चाल पडया
नीरज जी नै दरवज्जे की घंटी सुणी अर दरवाजा खोलते ही ताऊ नै देख कै खुसी तै चिल्लाया.............. वैलकम.. स्वागतम.. वैलकम.. स्वागतम..

ताऊ हंसते होए भीत्तर आग्या

नीरज जी बोल्ले, ताऊ इस टैम क्यूक्कर...?

ताऊ नै बगैर किसी भूमिका कै सारी बात बता दी....... अक भाई तेरे धौरै फालतू बैड पडया हो तो दे दे..

नीरज जी बोले
ताऊ तनै तो पता ई सै.... अक मैं झूठ नहीं बोलता.... अर साच्ची बात या सै.... अक म्हारे घर मैं दो बैड सैं... एक पै म्हारी घरआली अर म्हारी माता जी सोवैं.... अर दूसरे पै मैं अर मेरे पिता जी सोवैं...

ताई बोल्या, रै नीरज जी, मनै पता सै.... थम झूठ नहीं बोलते......... थमनै जिसा कहया सै उसा ही होगा........ पर भाई एक बात कहूं बैड देण कै तो मारो गोली पर सोया तो कम तै कम तरीकै तै करो..........
--योगेन्द्र मौदगिल

मंगलवार, 27 जनवरी 2009

काम करया कर.....

छोट्टा-मोट्टा काम करया कर.
खुद नै मत बदनाम करया कर.

मन्दर की आमदण नै देख,
तों बी राम्मेराम करया कर.

लोडस्पीकर लेकै प्यारे,
नेता नै परणाम करया कर.

मिलै मुफत तो गेर गोझ म्हं,
गुड़ का काम तमाम करया कर.

खास-खास तो खास-खास सैं,
इन खास्सों नै आम करया कर.
--योगेन्द्र मौदगिल

रविवार, 25 जनवरी 2009

पीसे का..........

कुटुमकबीला पीसे का.
इब्तो हील्ला पीसे का.

उसनै मारै सै दुनिया,
वो सै ढील्ला पीसे का.

देख करोंड़ों का होग्या,
अपणा कील्ला पीसे का.

गई जो दमड़ी मरज्येगा,
वो मरघिल्ला पीसे का.

झटका ऊप्परआले का,
टूटग्या टील्ला पीसे का.
--योगेन्द्र मौदगिल

शनिवार, 3 जनवरी 2009

महा कमीण

एक बर की बात...
म्हारे महाकंजूस ताऊ के खानदानी पंडत नै बताया अक् ताऊ, अगर तू जिंदगी मैं और भी मजे लेण चाहवै तो पांच कमीणों को भोजन करवा दे...
ईब भाई ताऊ महा कंजूस... पांच कमीणों नै भोजन क्यूक्कर करवावै...?
सोच म्हं पड़ग्या....

ताई बोल्ली, रै ताऊ, सोच मैं ना पड़ै, तेरा जनम संवर जे गा, पांच कमीणों नै भोजन करवा दे....
ताऊ बोल्या पर पांच कमीण मिलेंगें कहां...?

ताई बोल्ली, घबरावै मत, गाम के बाहर पुलिस चौक्की सै, पांच पुलिसिये जिमा दे, बस होग्या काम....
ताऊ नै बी बात जंच गी अर उसनै पांच पुलिस आले जिमा दिये.....

सारे गाम म्हं रुक्का पड़ग्या..

अर अगले ई दिन बिजली वाले ताऊ के घरां पहोंचगे...
अर बोल्ले, रै ताऊ, तनै यै के करया, म्हारे महकमे की नाक कटवा दी... पांच पुलिसिये जिमा दिये.... तू तो मान्या होया कंजूस सै... नयू बता तनै यें क्यूं जिमाये.....?

ताऊ बिचारा सीधा सादा. साफ-साफ बता दी. अक भाई पंडत नै कहया था, अक पांच कमीण जिमाणें सैं, तो मन्नै पांच पुलिसिये जिमा दिये....

या सुणते ई बिजली आले नै ताऊ कै दो धरे.... अर बोलया.... रै ताऊ, तनै सरम कोनी आई...?

तनै पांच पुलिस आले जिमाये.... बस एक बिजली आले नै जिमा देत्ता....

तनै बेरा कोनी... एक बिजली आला पांच पुलिसियां के बरोब्बर सै.....

शनिवार, 27 दिसंबर 2008

उस दिन तू कहां थी...............?

एक बर की बात...

ताऊ नै एक घणा जरूरी काम तै मुम्बई जाणा पड़ग्या
ताऊ नै सैच्ची अक् हवाई जहाज मैं चाल्लू ये सोच कै हवाई अड्डे पै पहोंच टिकट ले कै हवाई जहाज पै चढ़न ही वाला था कि अचानक एक बड़े जोर तै उसनै अवाज आई रै ताऊ रुक जा इस जहाज पै ना चढैं यू रास्तै महं क्रैश होण आला सै...
ताऊ सुणते ही वापस हो लिया पर मुंबई जाणा बी जरूरी

ताऊ नै सोच्या चाल फेर रेल मैं चाल्लैं
ये सोच कै रेल के अड्डे पै पहोंच टिकट ले कै रेल पै चढ़न ही वाला था कि अचानक एक बड़े जोर तै उसनै अवाज आई रै ताऊ रुक जा इस रेल पै ना चढैं यू रास्तै महं पटड़ली तै उतरेगी
ताऊ सुणते ही वापस हो लिया पर मुंबई जाणा बी जरूरी

ताऊ नै सोच्या चाल फेर बस मैं चाल्लैं
ये सोच कै बस अड्डे पै पहोंच टिकट ले कै बस पै चढ़न ही वाला था कि अचानक एक बड़े जोर तै उसनै अवाज आई रै ताऊ रुक जा इस बस पै ना चढैं यू रास्तै मैं नदी म्हं गिरेगी
ताऊ सुणते ही वापस हो लिया पर मुंबई जाणा बी जरूरी

ताऊ नै सोच्या चाल फेर रिक्शा मैं चाल्लैं
रिक्शा वाले तै बात करी
रिक्शा वाला बी हरियाणे का था त्यार होग्या जाण नै
ताऊ भाड़ा तै करकै रिक्सा पै चढ़न ही वाला था कि अचानक एक बड़े जोर तै उसनै अवाज आई रै ताऊ रुक जा इस रिक्सा पै ना चढैं यू रास्तै महं टूटण आला सै

ताऊ सुणते ही रिक्सा तै उतर लिया
अर उस अवाज की तरफ हाथ जोड़ कै बोल्या, हे भाई तू कोण सै...? अपना परिचय दे अर न्यू बता अक् तू मनैं बार-बार मुंबई जाण तै क्यू हटावै सै...?

अवाज आई......... रै ताऊ... मैं एक आत्मा हूं.... अर तेरी शुभचिंतक........... मुबई जाण मैं तनै खतरा सै इस लिये मैं तनै बार बार चेतावनी द्यूं सूं ताकि तू बच जै.........

ताऊ बोल्या, हे आत्मा.... सारी बात ठीक सै तेरी.... पर तू मेरी शुभ चिंतक कोनी...!

आत्मा अचरज तै बोल्ली, ताऊ के कह रह्या सै...?

ताऊ बोल्या, री आत्मा, मैं बिल्कुल ठीक कह रहया सूं, क्योंकि यदि तू वास्तव मैं मेरी शुभचिंतक सै... तो न्यू बता जिस दिन मैं घोड़ी पै चढ़ रहा था उस दिन तू कहां थी....?
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