behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

टूटग्या टील्ला......

कुटम-कबील्ला पीसे का
इब्तो हिल्ला पीसे का

उसनै मारै सै दुनिया
वो सै ढील्ला पीसे का

देख करोड़ों का होग्या
अपणा किल्ला पीसे का

दमड़ी गई तो मरजेगा
वो मरघिल्ला पीसे का

झटका ऊप्परआले का
टूटग्या टील्ला पीसे का
--योगेन्द्र मौदगिल

6 टिप्‍पणियां:

  1. दमड़ी गई तो मरजेगा
    वो मरघिल्ला पीसे का

    तिवारी साहब का सलाम !

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  2. कुटम-कबील्ला पीसे का
    इब्तो हिल्ला पीसे का

    बहुत जोरदार ! मजा आगया !

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  3. बिलकुल सही कहा आप ने यह दुनिया मे, पेसे कॆ यार ही मिलेगे, आप की कविता पढ कर सोच मे भी पढ ग्या ओर हंसी भी आती है.
    इस सच्चई से रुबरु करने के लिये
    धन्यवाद

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  4. दमड़ी गई तो मरजेगा
    वो मरघिल्ला पीसे का

    हां. हां.. हां.... मर कर कहीं हमारे नर्क में आया तो ?

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  5. वाह भाई वाह
    मस्त रहो औ खुशियां बांटों
    का करना है पैसे का

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  6. भाई योगेंदर भाई साची बात कह दी आपने तो, जमा सटीक से. बही नू ही कलम चाल्दी रहे.
    हरियाने के भाई की राम राम.

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