behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

सोमवार, 8 सितंबर 2008

पूच्छो क्यूं..?

बहुत पुरानी बात कोनी. ताऊ रामपुरिया, भाटिया जी, भूतनाथ और तिवारी साब चारों के चारों उस टेम कट्ठे रहे करते. गाम म्हं पूरे मजे थे चारों के.
एक दिन की बात सांझ नै चारों बतियावैं थे. चारों नै गाम म्हं रहणा घाट्टे का सौदा लग्या. विचार बणाया अक् शहर म्हं जाकै कोई ढंग का काम करेंगें. or peese kamavenge.
चारों पहुंचगे शहर वहां मिलग्या स्मार्ट सा स्मार्टबरगिया. इन्होनै सोच्ची इसतै सलाह कर लैं. काम जम जे गा. स्मार्ट बोल्या न्यू करो रै,
शहर म्हं गाड़िया बहोत सैं का गैरज खोल ल्यो. काम की कोय कमी नी.
चारों नै खोल लिया ....शानदार सर्विस सैंटर...
पर गजब... छः महीने तक एक गाहक नी आया.
पूच्छो क्यूं ?
मैं बताऊं.. गैरेज दूसरी मंजिल पै खोल्या..
फेर पहोंचगे स्मार्ट धौरै, बोल्लै रै, कोई और काम बता...
स्मार्ट धौरै आइडियों का स्टाक फुल्ल.
बोल्या झकोइयों, िमठाई की दुकान खोल ल्यो. घणी चाल्लेगी.
आव देख्या ना ताव खोल ली मिठाई की दुकान.
पर गजब.... छः महीने तक एक गाहक नी आया
पूच्छो क्यूं..?
मैं बताऊं... दुकान पै तै सर्विस सैंटर का बोर्ड तो हटाया ई नी
फेर पहोंचगे स्मार्ट धौरै, बोल्लै रै, कोई और काम बता.
स्मार्ट धौरै आइडियों का स्टाक फुल्ल..
बोल्या रै झकोइयों, थम दुकानदारी नी कर सकते. न्यू करो एक टैक्सी डाल ल्यो. सवारियां बहोत सैं दिल्ली चंडीगढ़ रूट पै. ठाठ तै सारा दिन ढोते रहियै.
चारों नै आव देख्या ना ताव टैक्सी daal lee.
पर गजब... छः महीने तक एक सवारी नी बेट्ठी
पूच्छो क्यूं..?
स्टैंड पै टैक्सी ला कै दो आग्गै बेठ जैं थे दो पीच्छै. ईब थमी सोच्चो सवारी के छात पै बेट्ठण वास्तै आत्ती.
परेसान होगे. किसी नै कह दिया अक रै थारे बस का कोनी चुपचसप गाम म्हं वापस चले जाऒ.
चारों अपनी नवी टैक्सी मैं बेठ वापस गाम मैं चाल पड़े.
कुदरत की मार रास्तै म्हं गाड्डी खराब होके बंद होगी. चारों नै दिमाग के सारे घोड़े खोल लिये पर कार स्टार्ट ना होयी.
एक राह चलता बोल्या रै क्यूं बिराण होरे सो, धक्का मार कै मकैनिक धोरे ले जो..
चारों धक्का मारणा लागगे..
पर अचरज की बात एक हफ्ता धक्का लगाया पर गाड़ी एक इंच ना सरकी.
पूच्छो क्यूं..?
मैं बताऊं दो जणे आग्गे तै धक्का लावैं थे सर दो पाच्छे तै.......

12 टिप्‍पणियां:

  1. योगेद्र जी , ज़बरदस्त पोस्ट लगी आपकी ,आखरी का सीन कमल का था ...मैं तो सोच सोच कर हंस रहा हूँ की टैक्सी आगे क्यों नही बढ़ी ....बहुत ही शानदार ....शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  2. अर् . . मौदगिल जी इब म्हारै समझ म्ह आया की
    म्हारा धंधा क्यूँ नही चाल्या ? भाई भाटिया जी थम
    इब तो समझ गे होगे ? यौ बैरी मौदगिल उडे बैठ्या
    कविता सुनाया करता था ! और धंधा के ख़ाक करै थे ?
    अणकी मीठी कविता सुनके शाम न घर वापस ! भाटिया
    जी थम तो एक लट्ठ और भेजो ! अण कवि महाराज
    गेल्यां भी ताई न लगानी पडैगी !

    अर् भई कवि महाराज थमनै किम्मै बेरा भी सै ?
    थमनै तो कविता सुना सुना क म्हारा धंधा चौपट
    करवा दिया ! फ़िर हम सबनै गाम छोड़ कै परदेश
    आणा पड़ गया ! और चलती समय भाटिया जी
    बोले यह टेक्सी भूतनाथ को दे दो ! ये कमा खायेगा !
    बाद में एक एक्सीडेंट म्ह भूतनाथ भी मारया गया !
    और इब वो भूत बन्या घुमै सै ! सुन्या है की आजकल
    वो तिवारी साहब धोरै आ लाग्या सै ! और आज ही
    तिवारी अब अपनी पन्डताइन न ले के आया सै !
    देखो बिचारे भूतनाथ का क्या होता है ? वैसे भूत नाथ जी
    लगता है की सलाह लेने स्मार्ट भाईसाहब धोरै भी जा सके सै !

    पर आज तक हम भी नही जानते थे यह राज तो ?

    जवाब देंहटाएं
  3. बात आपकी बिल्कुल सही है ! ये सब धंधा फेल करवाने में
    ताऊ और भाटिया जी का हाथ था ! क्योंकि इन दोनों को
    रोहतक छोडकै विदेश जाने की लगी थी ! हम और भूतनाथ
    तो टेक्सी को पीछे से ही धक्का देते थे ! और ताऊ और
    भाटिया जी उसको आगे से पीछे धकेल रहे थे ! तो हम क्या
    ऎसी तैसी करवाते ? इन दोनों ने हमको और भूत नाथ को तो
    टेक्सी पकडा कर रोहतक में छोड़ दिया ! और ये दोनों तब के
    गए अब मिले हैं !
    और स्मार्ट इंडियन जी को भी सलाह लेने के लिए
    हम दोनों खोजते रहे ! पर नही मिले ! लगता है ताऊ
    और भाटिया जी के साथ ही स्मार्ट जी भी विदेश
    निकल गए थे उसी समय !

    भूतनाथ अभी आराम कर रहे हैं ! वो उठ कर आपकी
    बात सुनेंगे तो देखो क्या कहते हैं ! वैसे आपने ये पोल
    पट्टी खोल के अच्छा किया ! अब यहाँ इस लोक में
    भूतनाथ जी का आगमन हो चुका है तो "खत्री जी के
    उपन्यास भूतनाथ" की तर्ज पर सब खुलासे भूतनाथ जी
    स्वयम ही कर देंगे !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चांडाल चौकडी इक्कठ्ठी हो गई है ! लगता है यहाँ अब कोई तमाशा जरुर होगा ! इंतजार करते है और देखते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  5. भूतनाथ का आप सबको प्रणाम ! हम
    नरक से यह सब कहानी ही पता करने आए थे की
    हमारे साथ ये हुआ क्या था ? अच्छा हुवा आपने आगे से
    ख़ुद ही खुलासा कर दिया ! असल में हमको हमारे यमलोक का
    पता नही चल रहा है ! और हम अब ज्यादा दिन तक भूत बन कर नही
    रहना चाहते ! सो हमको पता लगाना ही पड़ेगा ! पर आप यह तो बताओ की
    आप जो किस्सा बता रहे हो यह कितने सौ साल पुराना है ! क्योंकि ५०० साल तौ
    हमको भूत बने ही हो गए हैं ! और आप जिस भूतनाथ की बात कर रहे हो वो हम ही
    हैं या कोई और ! वैसे हम भी अपने स्तर पर जांच कर ही रहे हैं ! भूत नाथ बदला लेना भी जानता है !

    जवाब देंहटाएं
  6. योगेन्दर जी आप का धन्यवाद आप ने सारी पोल नही खोली, कोई ओर होता तो यह भी बता देता की इन चारो ने नाई की दुकान खोली, छ महीने कोई बाल काटना ना आया, पता कय़ू, वहां सारे सरदार रहते थे,शानदार सर्विस सैंटर दुसरी मंजिल मे इस लिये खोला था की वहा किराया कम था, लेकिन किस्मत ने साथ नही दिया,ओर हम ने पेसे बचाने के लिये पुराने बोर्ड पर लिख दिया था **शानदार सर्विस सैंटर देसी मिठ्ठाई की दुकान**यहां भी किस्मत ने साथ नही दिया, फ़िर टेक्सी पे लिख दिया था ड्राईवर सवारी की पंसद का, लेकिन किस्मत ही खराब थी,ओर जब गाव मे आने लगे तो धक्का मारने लगे तो पीछे जगह कम थी, सिर्फ़ दो आदमी ही धक्का लगा सकते थे, तो यह तिवारी भाई ओर भुत नाथ बोले हमारा हिस्सा भी हे हम कयो ना धक्का मारे तो यह दोनो आगे से धक्का मारने लगे , इस मे गलत क्या हुआ धक्का ही तो मारना था? भाई आदमी की किस्मत भी अच्छी जरुर होनी चाहिये...हमारी तो किस्मत ही ... तभी तो कोई धंधा नही चला.
    भाई दोस्त हो तो योगेन्दर जी जेसा कुछ भी नही बताया बस थोडी तारीफ़ कर दी,

    मेने आज ही दो नये लठ ताऊ के पते पर भेज दिये हे, लिस की किस्मत मे होगे उसे बजे गे
    धन्यवद

    जवाब देंहटाएं
  7. भाटिया जी , धन्यवाद ! आपने जो दो लट्ठ भिजवाये है !
    आज सुबह ही कोरियर वाले का फोन आया है की आपका
    कोरियर कस्टम वालो ने रोक लीया है ! इसमे बंदूके दिख
    रही हैं ! सो अभी मैं आज छुड़वा कर लाता हूँ !

    भई योगिंदर जी इब ज़रा समभलके रहणा , हथियार
    घर में आ चुके हैं !:) धंधे भले अलग अलग हो गए हों ,
    पूर्व पार्टनर अब भी एक दुसरे के साथ हैं सुख दुःख में !
    हाँ आपने तिवारी साहब और भूतनाथ को जरुर थोडा
    भड़का दिया है , पर उनको भी असलियत मालुम पड़ ही जायेगी !

    जवाब देंहटाएं
  8. दरअसल बात न्यूं थी अक् हमनै तो जरमनी के लट्ठ मंगवाने थे ताऊ खात्तर
    ताई नै चुपचाप कह्या था
    फेर बताऒ मैं के करता
    पोल-पट्टी तो खोलनीए थी फेर
    एक बात होर
    यू फंडेबाज तमास्सा देखण आ रहा सै
    ताई तै बूझ कै इसका बी नंबर लाणा पड़ेगा

    जवाब देंहटाएं
  9. अर् भई इब इस बैरी फ़ण्डेबज का बेरा ना पाटरया सै !
    यो कित सै आ लाग्या ? बेरा पाटण दो , इसका भी
    इलाज करवाणा पडैगा !

    जवाब देंहटाएं
  10. बडा मजेदार है हरियाणा एक्सप्रेस का सफर।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत भली लाग्यी। ये मत पूच्छो क्यों। पर ई तो बताओ मौदगिल जी आप 18 महीने तक वहां क्या कर रहे थे।

    जवाब देंहटाएं
  12. भाई बेतुके...
    जो मैं १८ महीन्ने वहा ना रहता तो ये बेतुकी कथा कौण सुनाता ?
    --
    yogindermoudgil.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

आप टिप्पणी अवश्य करें क्योंकि आपकी टिप्पणियां ही मेरी ऊर्जा हैं बहरहाल स्वागत और आभार भी