चार दाणे हो गये रै.
लोग स्याणे हो गये रै.
बाप नै बी आंख भिच्ची,
पूत काणे हो गये रै.
ईब के पिट्टेगा ताड़ी,
इब्तो न्याणे हो गये रै.
के बखत सै कल के छोरे,
देख हाणे हो गये रै.
खंजरों कै ताप चढ़ग्या,
सिर ठिकाणे हो गये रै.
चांद पै चांदी के बाल,
हम पुराणे हो गये रै.
--योगेन्द्र मौदगिल
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12 वर्ष पहले
चांद पै चांदी के बाल,
जवाब देंहटाएंहम पुराणे हो गये रै.
सत्यमेव जयते! ;-)
चांद पै चांदी के बाल,
जवाब देंहटाएंहम पुराणे हो गये रै.
सत्यवचन !!!!!!!!!!!!
के बखत सै कल के छोरे,
जवाब देंहटाएंदेख हाणे हो गये रै.
भाई बख्त बख्त की बात हुया
करै सै ! कदे कदे बख्त भी
किम्मै माड़ा पड़ ज्यासै !
विप्रवर, हमको हरयाणवी थोड़ी कम
जवाब देंहटाएंसमझ आंदी तो चाँद पै चांदी का
अंदाज ही लगा रहे हैं ! :) पढ़ पढ़ के
ही आनद आरहा है ! धन्यवाद !
बंधुऒं,
जवाब देंहटाएंआपका आदेश हो तो कठिन शब्दों के अर्थ भी दूं..
लेकिन यह तो पता लगे कि,
कौन सा शब्द किसके लिये..?
टिप्पणी में उल्लेख करियेगा..
शेष कुशल-मंगल.
आप सब भी सकुशल होंगे.
इस विश्वास के साथ.
-योगेन्द्र मौदगिल
अरे इतनी सुन्दर सुन्दर कविता केसे छुट गई, बहुत ही ग्यान बर्धक चार दान होगे..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद