एक बै की बात...
एक था ताऊ. जज था हाईकोर्ट म्हं.
(नोट मैं आदरणीय रामपुरिया जी कोट नहीं कर रहा हूं)
तो भाइयों अर मेरी भाभियों,
एक था ताऊ...
हाइकोर्ट का एक जज.
एक दिन्न अकेल्ला ही कार ले कै पहाड़ पै घूम्मण चल दिया. घूमते-घमते रात होगी, पर उसनै मजा आ रह्या था. घूमता रह्या. अचानक कार बंद होगी. हाइकोर्ट का जज ताऊ था अकेला. उसनै अपणे दिमाग के सारे घोड़े खोल लिये पर कार स्टार्ट ना होयी.
ताऊ नै दायें देख्या, बायें देख्या, इधर देख्या, उधर देख्या, अचानक उसनै देखया के थोड़ी दूर एक मकान म्हं बत्ती जल रही सै
बेचारा वहां पहुंचा....
जा कै कालबैल बजाई तो सुथरी सी मल्लिका सेरावत बरगी छोरी ऊप्पर खिड़की म्हं तै झांक कै बोल्ली........
कौण सै...?
ताऊ बोल्या.......... मैं सूं........
वा बोल्ली,... मैं कौण..? सही बता परिचय दे कोण सै तू..?
ताऊ बोल्या, मैं भई... भई... तुम डरो मत आय एम्म जज आफ हाइकोर्ट..!!
या सुण कै छोरी नीचै आगी अर गेट खोल दिया फिर बोली बताइये क्या बात है...?
ताऊ नै अपनी गड्डी बंद होणे की बात बताई.
वा बोल्ली तो फेर मैं के कर सकूं..?
ताऊ बोल्या, भई कर तो तू के सकै, पर मनै रात बिताण की जगह चाहिये..!!
वा बोल्ली, बात तो थारी ठीक सै, पर मैं यहां अकेल्ली सूं..!
ताऊ बोल्या, इस बात तै तनै के खतरा बावली, मनै तेरे तै बताया तो सै अक आय एम्म जज आफ हाइकोर्ट..!!
वा बोल्ली वा तो ठीक पर आज मेरे पति भी घर कोनी...
ताऊ बोल्या, फेर इस बात तै तनै के खतरा बावली, मनै तेरे तै बताया तो सै अक आय एम्म जज आफ हाइकोर्ट,,,,
वा बोल्ली, एक समस्या होर सै, मेरे धौरे सोण का कमरा बी एक....
ताऊ बोल्या, फेर मनै तेरे तै बताया तो सै अक आय एम्म जज आफ हाइकोर्ट.....
वा बोल्ली जी बात नै समझो......... ठंड के दिन्न अर मेरे धोरै रजाई बी एक सै......
ताऊ बोल्या, फेर इस बात तै तनै के खतरा बावली, मनै तेरे तै बताया तो सै अक आय एम्म जज आफ हाइकोर्ट....
ईब वा बोल्ली, फेर के सै झकोई आजा...
ताऊ वहीं रुका. रात बीत गई. सुबह हुई वा लुगाई चा का कप ले कै ताऊ धोरै आई..
बोल्ली, गुड मारनिंग..
ताऊ बोलया, गुड मारनिंग... नींद बहुत बढ़िया आई... पर मनै एक बात समझ मैं ना आई... के तुम्हारा यहां गुजारा कैसे चलता है..?
वा बोल्ली म्हारा एक मुर्गी फार्म सै, नीचै आ तनै दिखा दूं...
ताऊ उसके साथ चाल पड़ा...
नीचे मुरगी फारम में बहुत सारी मुरगिया देख कै ताऊ नै उस लुगाई तै एक प्रश्न करया, बोलया, एक बात बता भई यें सारी मुरगियां ही हैं या इनम्हं कोई मुरगा बी सै...?
वा बोल्ली जी एक चौथाई मुरगिया अक बाक्की मुर्गें सैं....
ताऊ हंस कै बोल्या....
कमाल सै मुरगियां कम, मुरगे ज्यादा, इन म्हं आपस म्हं मिलण खात्तर लड़ाई ना होत्ती..?
वा बोल्ली जी कतई बी लड़ाई ना होत्ती.... क्यूंकि आद्धे तै ज्यादा मुरगे तो जज आफ हाइकोर्ट सैं......
--योगेन्द्र मौदगिल
http://signup.wazzub.info/?lrRef=4959b
12 वर्ष पहले
भाई मौदगिल जी , बात ये है की ताऊ रामपुरिया का तो अपने को पता नही आज कहां है !
जवाब देंहटाएंऔर अब सो गया या क्या कर रहा है ! और आप जानते हो की मैं तिवारी साहब के यहाँ पर ही हूँ !
तिवारी साहब तो अपनी लगा लगुकै बिना सोढे कै ही तान कै सो गए सें ! और मैंने उनका कंप्यूटर
हथिया कर अपनी पोस्ट कम्पलीट कर रहा हूँ ! मेरी नजर आपकी पोस्ट पर पड़ गई और मैंने पढ़ ली !
अच्छा हुवा आपने ताऊ का खुलासा कर दिया ! अब ये तो सुबह ही आयेंगे तब ही टिपणी करेंगे !
आप मेरी पोस्ट पर आकर कविता सुनाया करो फ़िर मैं ताऊ की और तिवारी साहब की सारी पोल
खोल कर आपको बताता रहूंगा ! मैं इनके बारे में सब जानता हूँ ! बोलो हो मंजूर तो मिलावो हाथ !
पर इनको मत बताना ! दोनों बहुत जालिम हैं ! मारेंगे मेरे को !
भाई मौदगिल जी , बात ये है की ताऊ रामपुरिया का तो अपने को पता नही आज कहां है !
जवाब देंहटाएंऔर अब सो गया या क्या कर रहा है ! और आप जानते हो की मैं तिवारी साहब के यहाँ पर ही हूँ !
तिवारी साहब तो अपनी लगा लगुकै बिना सोढे कै ही तान कै सो गए सें ! और मैंने उनका कंप्यूटर
हथिया कर अपनी पोस्ट कम्पलीट कर रहा हूँ ! मेरी नजर आपकी पोस्ट पर पड़ गई और मैंने पढ़ ली !
अच्छा हुवा आपने ताऊ का खुलासा कर दिया ! अब ये तो सुबह ही आयेंगे तब ही टिपणी करेंगे !
आप मेरी पोस्ट पर आकर कविता सुनाया करो फ़िर मैं ताऊ की और तिवारी साहब की सारी पोल
खोल कर आपको बताता रहूंगा ! मैं इनके बारे में सब जानता हूँ ! बोलो हो मंजूर तो मिलावो हाथ !
पर इनको मत बताना ! दोनों बहुत जालिम हैं ! मारेंगे मेरे को !
योगेन्दर जी बहुत ही मजे दार,सची मुची मे मजा आगया, भाई जज आफ़ हाइकोर्ट का ओर साथ मे.....
जवाब देंहटाएंयह जगह कोन सी थी जहां इस जज की गाडी बिगड गई थी???
धन्यवाद
@भूतनाथ ??? क्यों बे भूत की औलाद ! तिवारी साहब से गद्दारी ?
जवाब देंहटाएंखाए खसम की , गाये बीरा की ? आना अब तू मेरे घर में ! अब
तू वहाँ मौदगिल साहब के पास ही रहना ! मेरे घर मत आना ! और
तेरा सामान भी उठाकर फेंक रहा हूँ और जो पोस्ट तू तैयार करके
गया है वो भी मैंने फाड़ कर फेंक दी है ! अब वहीं बैठ कर सुन
कविता ! और अभी तो ताऊ आकर तेरी खाट खडी करेगा !
तेरी हिम्मत कैसे पडी तिवारी साहब की पोल खोलने की ?
वा बोल्ली जी कतई बी लड़ाई ना होत्ती.... क्यूंकि आद्धे तै ज्यादा मुरगे तो जज आफ हाइकोर्ट सैं......
जवाब देंहटाएंभोत बढिया ! अगर सगळे माणस ही जज आफ हाइकोर्ट होज्ये त भाई सारी समस्या ही मिट जाए !
चोरी , डकैती, बलात्कार से पीछा छूट जाय ! पर भाई थम चिंता मत करो वो थारा ताऊ नही था ! जै
ताऊ इतणा सीधा होता त ये सगली दुनियाँ आले ताऊ का तिलक इबी तक चाट गे होते ! :)
माइ डीयर भूतनाथ
जवाब देंहटाएंचिंता की बात कोन्या
ताऊ नै निश्चिन्त हो के स्योड़ ले कै सोण दे
इस उमर म्हं स्योड़ पै ई जोर चाल्लै सै
तिवारी साहब नै किलसण दे
ये यूपी वाले किलस-किलस कै काम चलालैं सै
कोई ठाकरे बरगा मिलजै तो माफी मांग लैं सैं
तनैं चिन्ता करण की जरूरत कोनी
उरै आ जा मैं तनै एक्सपोर्ट कर दयूंगा
क्योंकि
भाटिया साहब तै वा जगह दिखा कै ल्याणी सै जित कार बिगड़ गी थी
मौदगिल साहब , भाटिया जी के साथ मन्ने भी उस जगह के दर्शन करवा दो , जहाँ गाड़ी बिगड़ी थी !!!!पिछली पोस्ट भी जबड़ थी और ये भी !!!!
जवाब देंहटाएं