behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

पलूरा (कुत्ते का पिल्ला)

लै सुण ले ताऊ, नवा किस्सा...
गाम म्हं एक मौल्लड़ था. ब्याह उसका होया कोनी. उसनै एक पलूरा पाल राख्या था. सुसरे नै एक कसूत आदत थी ताऊ, अक् तड़के-सांझ कूए पै जा खड़्या होवै था ऒड़ै साब्बत गाम की बहू-बेटियां पाणी भर्या करती अर् मौल्लड़ सुसरा उनपै कमैंट कर्या करता..
उसका कमैंट करण का स्टाइल बी गजब था, पलूरे के बहाने करता...
जैसे सामणै तै कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो टोकणी मटकती चाल्लै..
और कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो ऊप्पर लग पाणी भर राखया
कोए बहू पाणी की टोकणी ल्यारी होत्ती तो मौल्लड़ कहता, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो लाल सूट म्हं पाणी जा सै
बहूऐं थी तो परेसान पर लाचार बी.
गाम म्हं एक पहलवान का ब्याह होग्या. उसकी नवी नवी लुगाई बी पाणी लेण कूए पै ऐण लाग्गी. मौल्लड़ पै के रह्या जावै था, बोल्या, है रै पलूरे.. देक्खे के.. आज तो जमां नवा नवा पाणी जा सै.
बहू नै अणसुनी कर दी अगले दिन फेर वही. मौल्लड़ फेर बोल पड्या, है रै पलूरे.. इस तात्ते पाणी मैं तो घणा मजा आत्ता होगा..
दुखी हो के बहू नै घरां जा कै अपने पहलवान खसम तै सारी बात बता दी. बस फेर के था पहलवान नै छो (गुस्सा) आग्या. सर पकड़ कै मौल्लड़ धुन्न दिया. तसल्ली का तोड़्या.
चार-पांच दिन तो मौल्लड़ बिस्तरे पै पडया रह्या. छटे दिन आ खड्या होया कूए पै. पलूरा ले कै.
पहलवान की बहू आई टोकणी भर कै.
देखते ई, मौल्लड़ कराहता होया बोल्या..
हाय रै पलूरे... इसी इसी बात के घरां बताण की होए करैं....

4 टिप्‍पणियां:

  1. हाय रै पलूरे... इसी इसी बात के घरां बताण की होए करैं....
    फ़िर भी मौलड ना मान्या नई भौडिया नै छेडण तैं ? :)
    अगली बार फ़िर कुटैगा ! पर मानैगा नही !

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  2. अब जाने के होगा मौलड का| बड़ा ही मज़ेदार किस्सा है|

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  3. मौल्लड़ भी पुरा ठेठ था, मजा आ गया
    धन्यवाद

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