किसम किसम के लोग देस म्हं
चल्या भोग का रोग देस म्हं
चोर-लुटेरे-बे-डर हाण्डैं
राजनीत सिद्धयोग देस म्हं
भैंस नै लेग्या लाट्ठी आला
ताकत का परयोग देस म्हं
आंधा बोल्या बांट रेवड़ी
सारे अपणे लोग देस म्हं
दुख-दुरघटना-दारू-दुर्दिन
दसों दिसा दुर्योग देस म्हं
नो मण तेल ना राधा नाची
घिसे पिटे संजोग देस म्हं
---योगेन्द्र मौदगिल
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12 वर्ष पहले
बहुत खूब.मज़ा आ गया, हरियाणवी पढ के.Please remove word verification.Many readers stay away from commenting even though they may be liking ur work.This is just an advice from a novice who was adviced by other bloggers 2 months back.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगीं आपकी रचनाएँ खास कर ताई ताऊ की नोंक झोंक वाली । हरयाणवी थोडी तो समझती हूँ पर कभी कभी मुश्किल आती है । जैसे झोट्टी के माने क्या ?
जवाब देंहटाएंयोगेन्द्र मौदगिल राम राम, अजी हम ने कुछ वर्ष रोहतक मे बिताये हे, इस लिये हरियाणवी तो ९०% समझ मे आती हे, बाकी आज पहली बार आप के यहा आया हू तो लगता हे दोस्तो के बीच पहुच गया हु, बहुत अच्छा लगा, आप की कविताये तो अति हास्व्यंग्य से भरपुर हे,धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंMrs. Asha Joglekar जी, झोट्टी का मतलब भेंस की बेटी,पंजाबी मे उसे कट्टी कहते हे
इला जी, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजोगलेकर दम्पति, आपको प्रणाम. मुझे विश्वास है कि आप इस हरियाणवी प्रयास को संबल देते रहेंगें. और राज जी अब की बार जब रोहतक आना हो तो जरूर बताइयेगा. आशीष बनाए रखें.