behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

ईब बेरा पाट्या .......

एक हास्य कविता

एक लुगाई
बैंक मनैजर के धौरै आई
और बोल्ली
मनेजर साब मेरी हैल्प करियो
इस पांचसो डालर के नोट नै
इंडियन करैंसी मैं कन्वर्ट कर दियो
मनेजर नै पांचसो डालर का नोट
अपने हाथ म्हं पकड्या
जांच्या परखा
अर बस मनेजर की फूट पड़ी हंसी
बोल्या ताई तू कहां जा फंसी
अर क्यूं मनै फंसाण लाग री सै
यू पांचसो डालर का नोट कोनी
सैम्पू डिस्काउंट का कूपन सै
सुणते ई महिला नै मात्थे पै हाथ मारया
अर बोल्ली रै मनेजर
तेरी बात तै तो मेरा होश खोग्या
ईब बेरा पाट्या
कल रात तो मेरा रेप होग्या
--योगेन्द्र मौदगिल

10 टिप्‍पणियां:

  1. अर बोल्ली रै मनेजर
    तेरी बात तै तो मेरा होश खोग्या
    ईब बेरा पाट्या
    कल रात तो मेरा रेप होग्या

    सवाल ये है की वो कौन था ? आप ? भाटिया जी ? तिवारीसाहब ? या ताऊ ....? बताओ बताओ !!!

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  2. भाई मौदगिल जी बुजुर्गों ने सही कहा है की आडू की दोस्ती और जी का जंजाल ! इब यो भूतनाथ के चाहवै सै ?

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  3. मौदगिल साहब इस भूतनाथ को तो मेरे पास पार्सल करो आप !
    ये सीधी तरह नही मानेगा ! इसको तो मैं ही ठीक करूंगा ! ये जाते जाते मेरा पूरा एक खम्बा ही उठा लेगया ! जबकि यहाँ शरीफ बनता था की मैं नही पीता ! बहुत जालिम सिंग है ये ! पता नही ख़ुद खींच गया या या आपको दे दिया !

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  4. भाई भुतनाथ, मै तो पक्का शरीफ़ आदमी हुं. यकीन ना हो तो माडल टाऊन पुलिस चोकी मे जा के देख लो, ताऊ भी घणा शरीफ़ लागे, अब बचे तीन लोग, इब खुद ही फ़ेसला कर लो इन तीनो मे से कुन है,
    ओर सोच लो अगर डालर असली होता तो???

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  5. "सैम्पू डिस्काउंट का कूपन".....बड़े काम की चीज़ लग्गे है !!!बहुत ही अच्छी रचना है मौदगिल साहब !!!!!!

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  6. बहुत खूब। आपकी देशी अंदाज बहुत निराला है।

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  7. बहुत खूब। आपकी देशी अंदाज बहुत निराला है।

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  8. ताई तो बैंक मैनेजर से मिलने के पहले तक यही समझ रही थी कि उसके हिंडोले पर झूलने वाले ने भरपूर किराया दिया है लेकिन झूलने को तो पता ही था कि वह चीटिंग कर रहा है। अब सवाल यह है कि चीटिंग की किसने? इसका आसान सा सवाल है। ताई ने यह बात सिर्फ बैंक मैनेजर को बताई थी। फिर अपने भाई साहब को कैसे पता चली। भाई मन्नै बेरा सैं. कत्ल होने का पता कातिल को सबसे पहले पता चलता है। सो भइया तो अपने सत्कर्म के बारे में पहले से ही जानते थे। लेकिन भाई चीटिंग अच्छी बात नहीं।

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  9. त्रिपाठी जी
    हम हैं असली हरियाणे के
    इतना दिमाग नहीं लगाते
    आपनै लगाया
    तो आपके लिये नई पोस्ट हाज़िर है

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