एक बै की बात
भूतनाथ बड़ा चौड़ा होकै
क्रीम सैम्पू लगा कै
मूंह हाथ धोकै
जमीं ऊप्पर नै देखता होया ताऊ के गाम मैं घूम रह्या था
सामणै तै ताऊ आवै था
भूतनाथ बोल्या ताऊ राम राम
ताऊ नै देखया यू तो नवा सा सैंपल लागै जवाब मैं बोल्या राम राम भाई
अर पूछण लाग्या अक रै छोरे तू आजे देखया, कित तै आया
भूतनाथ बोल्या भूतलोक तै
अच्छा किसकै आया
उरै मेरा मामा रह्वै सै
अरै कुण सा भाई
चौधरी प्रेत सिंह तू नी जाणता के उसनै
ना भई
कमाल है ताऊ तू नहीं जाणता थारे एरिये का सबते अमीर सै मेरा मामा
अरै रहण दे छोरे मैं जाणूं सूं कितना अमीर सै तेरा मामा
क्यूं रहण द्यूं, बीसियैं किल्ले जमीन, बारा ट्रैक्टर, गयारा जीप, चौंतीस बाइक, उन्नीस मामियां सै मेरे मामे की
अरै रहण दे छोरे मैं जाणूं सूं कितना अमीर सै तेरा मामा, क्यूं भेद खुलवावै सै
कयूं इसा के ताऊ तनै बेरा कोनी चौंसठ भैंस सैं मेरे मामे की
अरै रहण दे छोरे मैं जाणूं सूं कितना अमीर सै तेरा मामा,
चौंसठ की चौंसठ भैंस नंगी फिरैं. उनतै कुछ पहराया तो जाता नी. अर रोला करता हांडरया, अमीर सै.. अमीर सै... अरै जिसकी भैंस, झोटी, ऊंटनी नंगी घूमती हों वो अमीर होये करै के
--योगेन्द्र मौदगिल
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12 वर्ष पहले
चौंसठ की चौंसठ भैंस नंगी फिरैं. उनतै कुछ पहराया तो जाता नी. अर रोला करता हांडरया, अमीर सै.. अमीर सै... अरै जिसकी भैंस, झोटी, ऊंटनी नंगी घूमती हों वो अमीर होये करै के
जवाब देंहटाएंहां .हा.....हा...ही....ही....हीई .....मैं तो ख़ुद नंगा घूमता हूँ ... चाहे तिवारी साहब से पूछ लो ... या फ़िर दो दिन आपके कुरते की जेब में भी तो रहा था ! :)....ही.ही..........ही....हू.....हू.....! ..........मैं भूतनाथ हूँ .........
अर् भई यो सुसरा भूतनाथ घणा ऐ नंगा और बेशर्म हो राख्या सै !
जवाब देंहटाएंइसनै थम ऐ संभालो ! के बेरा के के करता हान्डै सै ? कितै बीरबानियाँ
गेल्यां हान्ड़ता फिरया करै सै डाकी ! वो तिवारी साहब भी ढुन्ढण लाग रे सै !
मनै तो कुरता ही फाड़ कै फैंक दिया
जवाब देंहटाएंनंगे तै तो भगवान भी डरै
भाटिया जी नै अबी लट़ठ नी भेजे के ?
हम न भूलेंगे कभी, ताऊ का अहसान
जवाब देंहटाएंभूतनाथ को दे दिया,उनने सच्चा ग्यान
उनने सच्चा ग्यान,मान लो बात हमारी
भूतनाथ जी बंधु,करो ताऊ से यारी
आपकै ब्लाग देख कै बहुत अच्छा लगा, लिखत रहिये, फिर मिलै का होई।
जवाब देंहटाएंभाई लठ्ठ तो भेज दिया लेकिन इस भुत नाथ को बक्स देना यह बेचारा तो लगता है हिटलर के हथे ही चढेगां, आप क्यु पाप करो सो, ओर भुत भाई नगां घुमे शर्म नही आती ओर तेरे मामे की भेसं भी नगीं घुमए, राम राम
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूबसूरत कविता है यह। मजा आ गया पढ कर।हमने तो अभी हिन्दी में लिखना दो चार साल से शुरु किया है।
जवाब देंहटाएंहम वैसे तो इंगलिश में लिखते है"सुलेखा ब्लॉग" पर।मैं उम्मीद करता हूं कि आप अब तशरीफ लाएंगे मेरे ब्लाग
"थाट मशीन" पर। यह मेरा हिन्दी रचनाओं का ब्लॉग है। दूसरा इंगलिश की रचनाओं क ब्लॉग है। नाम है "स्टेम॓।
कृप्या आप मेरी हिन्दी रचनाएं भी पढें और टिप्पणी किजीए। मेरा लिंक हैः-
http://rajee7949.blogspot.com/
धन्याबाद। "राजी कुशवाहा"
Aoke blog aaj dekhne ko mile. sabhi blog bahut achhe hai. mujhe behad achha laga apka blog padhna.
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