behavior="scroll" height="30">हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि सम्मेलन संयोजक एवं हिन्दी-हरियाणवी हास्व्यंग्य कवि योगेन्द्र मौदगिल का हरियाणवी धमाल, हरियाणवी कविताएं, हास्य व्यंग्य को समर्पित प्रयास ( संपर्कः o9466202099 / 09896202929 )

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

हरियाणवी ग़ज़ल

ताऊ रामपुरिया को ताई सहित सादर समर्पित

इसी बात का रौला सै.
देख मकौड़ा धौला सै.

टूम पहन कै ठुमक रह्या,
वो बी कितना बौला सै.

बरगद सै हैरान घणा,
दो भिण्डी का कौला सै.

जो फसग्या सो घाल्लिया,
तन बी ससुरा झौला सै.

गुलदाणे मैं खुस्स होग्या
हनुमान तो भौला सै
--योगेन्द्र मौदगिल

7 टिप्‍पणियां:

  1. देख मकौड़ा धौला सै.
    वाह
    मेरी तरफ़ से भी ताऊ ओर ताई को समर्पित यह सुंदर गजल.
    इस सुंदर गजल के लिये , बहुत ही गहरे भाव लिये है योगेन्द्र जी आप की कविता.
    धन्यवाद

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  2. बहुत सुंदर. आपके आदेश के मुताबिक थारी ताई को भी पढवा दी यह रचना. और दोमुआं की तरफ़ तैं घणा आशिष भाई.

    रामराम.

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  3. सही कह रह हूँ कि मुझे हरियाणवी नहीं समझ में आती है. आपके प्रिंटिंग वालें ब्लॉग के लिए साधुवाद स्वीकारें. शुभकामनायें

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  4. आधअधूरा समझ आया, लेकिन वह पर्याप्त है फिलहाल.

    हां, ताऊ जी तो आजकल हम सब के दिल पर राज करते हैं

    सस्नेह -- शास्त्री

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  5. म्हारी टिप्पणी से खुश हो ज्यागा यो कवी भोला से |

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